वेदाबेस​

SB 10.67.7

पुरुषान् योषितो द‍ृप्त: क्ष्माभृद्‍द्रोणीगुहासु स: ।
निक्षिप्य चाप्यधाच्छैलै: पेशष्कारीव कीटकम् ॥ ७ ॥

puruṣān — men; yoṣitaḥ — and women; dṛptaḥ — audacious; kṣmā-bhṛt — of a mountain; droṇī — within a valley; guhāsu — inside caves; सः — he; nikṣipya — casting; ca — and; apyadhāt — sealed; śailaiḥ — with large stones; peśaṣkārī — a wasp; iva — as; kīṭakam — a small insect.

भावार्थ

Just as a wasp imprisons smaller insects, he arrogantly threw both men and women into caves in a mountain valley and sealed the caves shut with boulders.

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