SB 10.58.6
तथैव सात्यकि: पार्थै: पूजितश्चाभिवन्दित: ।
निषसादासनेऽन्ये च पूजिता: पर्युपासत ॥ ६ ॥
निषसादासनेऽन्ये च पूजिता: पर्युपासत ॥ ६ ॥
tathā eva — similarly; sātyakiḥ — Sātyaki; pārthaiḥ — by the sons of Pṛthā; pūjitaḥ — worshiped; ca — and; abhivanditaḥ — welcomed; niṣasāda — sat down; āsane — on a seat; anye — the others; ca — also; pūjitāḥ — worshiped; paryupāsata — sat around.
भावार्थ
Sātyaki also accepted a seat of honor after receiving worship and welcome from the Pāṇḍavas, and the Lord’s other companions, being duly honored, sat down in various places.
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