वेदाबेस​

SB 10.58.55

पारिबर्हमुपागृह्य द्वारकामेत्य सत्यया ।
रेमे यदूनामृषभो भगवान् देवकीसुत: ॥ ५५ ॥

pāribarham — the dowry; upāgṛhya — taking; dvārakām — at Dvārakā; etya — arriving; satyayā — with Satyā; reme — enjoyed; yadūnām — of the Yadus; ṛṣabhaḥ — the chief; bhagavān — the Supreme Lord; devakī-sutaḥ — the son of Devakī.

भावार्थ

Lord Devakī-suta, the chief of the Yadus, then took His dowry and Satyā to Dvārakā and continued to live there happily.

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com