SB 10.58.17
तत्रोपस्पृश्य विशदं पीत्वा वारि महारथौ ।
कृष्णौ ददृशतु: कन्यां चरन्तीं चारुदर्शनाम् ॥ १७ ॥
कृष्णौ ददृशतु: कन्यां चरन्तीं चारुदर्शनाम् ॥ १७ ॥
tatra — there; upaspṛśya — taking bath; viśadam — clear; pītvā — drinking; vāri — the water; mahā-rathau — great chariot warriors; kṛṣṇau — the two Kṛṣṇas; dadṛśatuḥ — saw; kanyām — a maiden; carantīm — walking; cāru-darśanām — charming to see.
भावार्थ
After the two Kṛṣṇas bathed there, they drank the river’s clear water. The great warriors then saw an attractive young girl walking nearby.
बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य
©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था
www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com