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SB 10.55.36

विज्ञातार्थोऽपि भगवांस्तूष्णीमास जनार्दन: ।
नारदोऽकथयत् सर्वं शम्बराहरणादिकम् ॥ ३६ ॥

vijñāta — understanding fully; arthaḥ — the matter; अपि — even though; bhagavān — the Supreme Personality of Godhead; tūṣṇīm — silent; āsa — remained; janārdanaḥ — Kṛṣṇa; nāradaḥ — Nārada Muni; akathayat — recounted; sarvam — everything; śambara — by Śambara; āharaṇa — the kidnapping; ādikam — beginning with.

भावार्थ

Although Lord Janārdana knew perfectly well what had transpired, He remained silent. The sage Nārada, however, explained everything, beginning with Śambara’s kidnapping of the child.

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