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SB 10.55.12

रतिरुवाच
भवान् नारायणसुत: शम्बरेणहृतो गृहात् ।
अहं तेऽधिकृता पत्नी रति: कामो भवान् प्रभो ॥ १२ ॥

ratiḥ uvāca — Rati said; bhavān — You; nārāyaṇa-sutah — the son of Lord Nārāyaṇa; śambareṇa — by Śambara; hṛtaḥ — stolen; gṛhāt — from Your home; aham — I; te — Your; adhikṛtā — legitimate; patnī — wife; ratiḥ — Rati; kāmaḥ — Cupid; bhavān — You; prabho — O master.

भावार्थ

Rati said: You are the son of Lord Nārāyaṇa and were kidnapped from Your parents’ home by Śambara. I, Rati, am Your legitimate wife, O master, because You are Cupid.

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