वेदाबेस​

SB 10.54.50

श्रीशुक उवाच
एवं भगवता तन्वी रामेण प्रतिबोधिता ।
वैमनस्यं परित्यज्य मनो बुद्ध्या समादधे ॥ ५० ॥

śrī-śukaḥ uvāca — Śukadeva Gosvāmī said; evam — thus; bhagavatā — by the Supreme Lord; tanvī — slender-waisted Rukmiṇī; rāmeṇa — by Balarāma; pratibodhitā — enlightened; vaimanasyam — her depression; parityajya — giving up; manaḥ — her mind; buddhyā — by intelligence; samādadhe — composed.

भावार्थ

Śukadeva Gosvāmī said: Thus enlightened by Lord Balarāma, slender Rukmiṇī forgot her depression and steadied her mind by spiritual intelligence.

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