वेदाबेस​

SB 10.54.30

ततो रथादवप्लुत्य खड्‍गपाणिर्जिघांसया ।
कृष्णमभ्यद्रवत् क्रुद्ध: पतङ्ग इव पावकम् ॥ ३० ॥

tataḥ — then; rathāt — from his chariot; avaplutya — leaping down; khaḍga — a sword; paṇiḥ — in his hand; jighāṁsayā — with the desire to kill; kṛṣṇam — Lord Kṛṣṇa; abhyadravat — he ran toward; kruddhaḥ — furious; pataṅgaḥ — a bird; iva — as; pāvakam — the wind.

भावार्थ

Then Rukmī leaped down from his chariot and, sword in hand, rushed furiously toward Kṛṣṇa to kill Him, like a bird flying into the wind.

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com