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SB 10.50.12

आयुधानि च दिव्यानि पुराणानि यद‍ृच्छया ।
द‍ृष्ट्वा तानि हृषीकेश: सङ्कर्षणमथाब्रवीत् ॥ १२ ॥

āyudhāni — weapons; ca — and; divyāni — divine; purāṇāni — ancient; yadṛcchayā — automatically; dṛṣṭvā — seeing; tāni — them; hṛṣīkeśaḥ — Lord Kṛṣṇa; saṅkarṣaṇam — to Lord Balarāma; atha — then; abravīt — He spoke.

भावार्थ

The Lord’s eternal divine weapons also appeared before Him spontaneously. Seeing these, Śrī Kṛṣṇa, Lord of the senses, addressed Lord Saṅkarṣaṇa.

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