SB 10.4.32
किमुद्यमै: करिष्यन्ति देवा: समरभीरव: ।
नित्यमुद्विग्नमनसो ज्याघोषैर्धनुषस्तव ॥ ३२ ॥
नित्यमुद्विग्नमनसो ज्याघोषैर्धनुषस्तव ॥ ३२ ॥
kim — what; udyamaiḥ — by their endeavors; kariṣyanti — will do; devāḥ — all the demigods; samara-bhīravaḥ — who are afraid of fighting; nityam — always; udvigna-manasaḥ — with agitated minds; jyā-ghoṣaiḥ — by the sound of the string; dhanuṣaḥ — of the bow; tava — your.
भावार्थ
The demigods always fear the sound of your bowstring. They are constantly in anxiety, afraid of fighting. Therefore, what can they do by their endeavors to harm you?
बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य
©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था
www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com