SB 10.36.9
सोऽप्येवं कोपितोऽरिष्ट: खुरेणावनिमुल्लिखन् ।
उद्यत्पुच्छभ्रमन्मेघ: क्रुद्ध: कृष्णमुपाद्रवत् ॥ ९ ॥
उद्यत्पुच्छभ्रमन्मेघ: क्रुद्ध: कृष्णमुपाद्रवत् ॥ ९ ॥
भावार्थ
Thus provoked, Ariṣṭa pawed the ground with one of his hooves and then, with the clouds hovering around his upraised tail, furiously charged Kṛṣṇa.
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