वेदाबेस​

SB 10.36.11

गृहीत्वा श‍ृङ्गयोस्तं वा अष्टादश पदानि स: ।
प्रत्यपोवाह भगवान् गज: प्रतिगजं यथा ॥ ११ ॥

gṛhītvā — seizing; śṛṅgayoḥ — by the horns; tam — him; vai — indeed; aṣṭādaśa — eighteen; padāni — steps; सः — He; pratyapovāha — threw back; bhagavān — the Supreme Lord; gajaḥ — an elephant; prati-gajam — a rival elephant; yathā — like.

भावार्थ

The Supreme Lord Kṛṣṇa seized Ariṣṭāsura by the horns and threw him back eighteen steps, just as an elephant might do when fighting a rival elephant.

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com