SB 10.34.2
तत्र स्नात्वा सरस्वत्यां देवं पशुपतिं विभुम् ।
आनर्चुरर्हणैर्भक्त्या देवीं च नृपतेऽम्बिकाम् ॥ २ ॥
आनर्चुरर्हणैर्भक्त्या देवीं च नृपतेऽम्बिकाम् ॥ २ ॥
tatra — there; snātvā — bathing; sarasvatyām — in the river Sarasvatī; devam — the demigod; paśu-patim — Lord Śiva; vibhum — the powerful; ānarcuḥ — they worshiped; arhaṇaiḥ — with paraphernalia; bhaktyā — devotedly; devīm — the goddess; ca — and; nṛ-pate — O King; ambikām — Ambikā.
भावार्थ
O King, after arriving there, they bathed in the Sarasvatī and then devotedly worshiped with various paraphernalia the powerful Lord Paśupati and his consort, goddess Ambikā.
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