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SB 10.22.10

अत्रागत्याबला: कामं स्वं स्वं वास: प्रगृह्यताम् ।
सत्यं ब्रुवाणि नो नर्म यद् यूयं व्रतकर्शिता: ॥ १० ॥

atra — here; āgatya — coming; abalāḥ — O girls; kāmam — as you wish; svam svam — each your own; vāsaḥ — clothing; pragṛhyatām — please take; satyam — the truth; bruvāṇi — I am speaking; na — not; u — rather; narma — jest; yat — because; yūyam — you; vrata — by your vow of austerity; karśitāḥ — fatigued.

भावार्थ

[Lord Kṛṣṇa said:] My dear girls, you may each come here as you wish and take back your garments. I’m telling you the truth and am not joking with you, since I see you’re fatigued from executing austere vows.

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