वेदाबेस​

SB 10.17.8

सुपर्णपक्षाभिहत: कालियोऽतीव विह्वल: ।
ह्रदं विवेश कालिन्द्यास्तदगम्यं दुरासदम् ॥ ८ ॥

suparṇa — of Garuḍa; pakṣa — by the wing; abhihataḥ — beaten; kāliyaḥ — Kāliya; atīva — extremely; vihvalaḥ — distraught; hradam — a lake; viveśa — he entered; kālindyāḥ — of the river Yamunā; tat-agamyam — unapproachable by Garuḍa; durāsadam — difficult to enter.

भावार्थ

Beaten by Garuḍa’s wing, Kāliya was extremely distraught, and thus he took shelter of a lake adjoining the river Yamunā. Garuḍa could not enter this lake. Indeed, he could not even approach it.

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com