SB 10.17.15
यशोदा रोहिणी नन्दो गोप्यो गोपाश्च कौरव ।
कृष्णं समेत्य लब्धेहा आसन् शुष्का नगा अपि ॥ १५ ॥
कृष्णं समेत्य लब्धेहा आसन् शुष्का नगा अपि ॥ १५ ॥
yaśodā rohiṇī nandaḥ — Yaśodā, Rohiṇī and Nanda Mahārāja; gopyaḥ — the cowherd ladies; gopāḥ — the cowherd men; ca — and; kaurava — O Parīkṣit, descendant of Kuru; kṛṣṇam — Lord Kṛṣṇa; sametya — meeting; labdha — having regained; īhāḥ — their conscious functions; āsan — they became; śuṣkāḥ — dried up; nagāḥ — the trees; अपि — even.
भावार्थ
Having regained their vital functions, Yaśodā, Rohiṇī, Nanda and all the other cowherd women and men went up to Kṛṣṇa. O descendant of Kuru, even the dried-up trees came back to life.
बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य
©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था
www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com