वेदाबेस​

श्लोक 18.70

अध्येष्यते च य इमं धर्म्यं संवादमावयो: ।
ज्ञानयज्ञेन तेनाहमिष्ट: स्यामिति मे मति: ॥ ७० ॥

adhyeṣyate — will study; ca — also; yaḥ — he who; imam — this; dharmyam — sacred; saṁvādam — conversation; āvayoḥ — of ours; jñāna — of knowledge; yajñena — by the sacrifice; tena — by him; aham — I; iṣṭaḥ — worshiped; syām — shall be; iti — thus; me — My; matiḥ — opinion.

भावार्थ

और मैं घोषित करता हूँ कि जो हमारे इस पवित्र संवाद का अध्ययन करता है, वह अपनी बुद्धि से मेरी पूजा करता है |

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com