वेदाबेस​

श्लोक 15.10

उत्क्रामन्तं स्थितं वाऽपि भुञ्जानं वा गुणान्वितम् ।
विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुष: ॥ १० ॥

utkrāmantam — quitting the body; sthitam — situated in the body;  api — either; bhuñjānam — enjoying;  — or; guṇaanvitam — under the spell of the modes of material nature; vimūḍhāḥ — foolish persons; na — never; anupaśyanti — can see; paśyanti — can see; jñānacakṣuṣaḥ — those who have the eyes of knowledge.

भावार्थ

मूर्ख न तो समझ पाते हैं कि जीव किस प्रकार अपना शरीर त्याग सकता है, न ही वे यह समझ पाते हैं कि प्रकृति के गुणों के अधीन वह किस तरह के शरीर का भोग करता है । लेकिन जिसकी आँखें ज्ञान से प्रशिक्षित होती हैं, वह यह सब देख सकता है ।

तात्पर्य

ज्ञान-चक्षुषः शब्द अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । बिना ज्ञान के कोई न तो यह समझ सकता है कि जीव इस शरीर को किस प्रकार त्यागता है, न ही यह कि वह अगले जीवन में कैसा शरीर धारण करने जा रहा है, अथवा यह कि वह विशेष प्रकार के शरीर में क्यों रह रहा है । इसके लिए पर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसे प्रमाणिक गुरु से भगवद्गीता तथा अन्य ऐसे ही ग्रंथों को सुन कर समझा जा सकता है । जो इन बातोँ को समझने के लिए प्रशिक्षित है, वह भाग्यशाली है । प्रत्येक जीव किन्हीं परिस्थितियोँ के शरीर त्यागता है, जीवित रहता है और प्रकृति के अधीन होकर भोग करता है । फलस्वरूप वह इन्द्रिय भोग के भ्रम में नाना प्रकार के सुख-दुख सहता रहता है । ऐसे व्यक्ति जो काम तथा इच्छा के कारण निरन्तर मुर्ख बनते रहते हैं, अपने शरीर-परिवर्तन तथा विशेष शरीर में अपने वास को समझने की सारी शक्ति खौ बैठते हैं । वे इसे नहीं समझ सकते । किन्तु जिन्हें आध्यात्मिक ज्ञान हो चुका है, वे देखते हैं कि आत्मा शरीर से भिन्न है और यह अपना शरीर बदल कर विभिन्न प्रकार से भोगता रहता है | ऐसे ज्ञान से युक्त व्यक्ति समझ सकता है कि इस संसार में बद्धजीव किस प्रकार कष्ट भोग रहे हैं | अतएव जो लोग कृष्णभावनामृत में अत्यधिक आगे बढ़े हुए हैं, वे इस ज्ञान को सामान्य लोगों तक पहुँचाने में प्रयत्नशील रहते हैं, क्योंकि उनका बद्ध जीवन अत्यन्त कष्टप्रद रहता है | उन्हें इसमें से निकल कर कृष्णभावनामृत होकर आध्यात्मिक लोक में जाने के लिए अपने को मुक्त करना चाहिए |

बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य

©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था

www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com