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श्लोक 10 . 31

पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ॥ ३१ ॥

पवनः – वायु; पवताम् – पवित्र करने वालों में; अस्मि – मैं हूँ; रामः – राम; शस्त्र-भृताम् – शस्त्रधारियों में; अहम् – मैं; झषणाम् – मछलियों में; मकरः – मगर; च – भी; अस्मि – हूँ; स्त्रोतसाम् – प्रवहमान नदियों में; अस्मि – हूँ; जाह्नवी – गंगा नदी |

भावार्थ

समस्त पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ, शस्त्रधारियों में राम, मछलियों में मगर तथा नदियों में गंगा हूँ |

तात्पर्य

समस्त जलचरों में मगर सबसे बड़ा और मनुष्य के लिए सबसे घातक होता है | अतः मगर कृष्ण का प्रतिनिधित्व करता है |और नदियों में , भारत में सबसे बड़ी माँ गंगा है | रामायण के भगवान् राम जो श्रीकृष्ण के अवतार हैं, योद्धाओं में सबसे अधिक शक्तिशाली हैं |

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