SB 10.41.2
सोऽपि चान्तर्हितं वीक्ष्य जलादुन्मज्य सत्वर: ।
कृत्वा चावश्यकं सर्वं विस्मितो रथमागमत् ॥ २ ॥
कृत्वा चावश्यकं सर्वं विस्मितो रथमागमत् ॥ २ ॥
भावार्थ
When Akrūra saw the vision disappear, he came out of the water and quickly finished his various ritual duties. He then returned to the chariot, astonished.
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