SB 10.36.5
पशवो दुद्रुवुर्भीता राजन्सन्त्यज्य गोकुलम् ।
कृष्ण कृष्णेति ते सर्वे गोविन्दं शरणं ययु: ॥ ५ ॥
कृष्ण कृष्णेति ते सर्वे गोविन्दं शरणं ययु: ॥ ५ ॥
paśavaḥ — the domestic animals; dudruvuḥ — ran away; bhītāḥ — afraid; rājan — O King; santyajya — abandoning; go-kulam — the dairy pasture; kṛṣṇa kṛṣṇa iti — “Kṛṣṇa, Kṛṣṇa”; te — they (the inhabitants of Vṛndāvana); sarve — all; govindam — to Lord Govinda; śaraṇam — for shelter; yayuḥ — went.
भावार्थ
The domestic animals fled the pasture in fear, O King, and all the inhabitants rushed to Lord Govinda for shelter, crying, “Kṛṣṇa, Kṛṣṇa!”
बेस- पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति सिखाने का लक्ष्य
©2020 BACE-भक्तिवेदांत सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्था
www.vedabace.com यह वैदिक ज्ञान की विस्तृत जानकारी है जो दैनिक साधना, अध्ययन और संशोधन में उपयोगी हो सकती है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें - info@vedabace.com